भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"256 / हीर / वारिस शाह" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
17:27, 3 अप्रैल 2017 के समय का अवतरण
गैबत<ref>निंदा</ref> करन बेगानड़ी अत औगन सते आदमी एह गुनाहगार हुंदे
चोर चुगल किरतघन ते झूठ बोले लूती लांवदे सतवां यार हुंदे
असां जोग नूं नहीं गल पहन बहना तुसी कासनूं ऐडे बेजार हुंदे
वारस जिन्हां उमैद ना तांघ काई कम्म तिन्हां दे आकबत<ref>आखिर को</ref> पार हुंदे
शब्दार्थ
<references/>