भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"287 / हीर / वारिस शाह" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
17:43, 3 अप्रैल 2017 के समय का अवतरण
मरद बाझ मीहरी पानी बाझ धरती आशक डिठड़े बाझ ना रजदे ने
लख सिरी अवल आवन यार यारां तों मूल ना भजदे ने
भीड़ां पैंदियां मरद बंडा लैदे परदे आशकां दे मरद कजदे ने
दा चोर ते यार दा इक सांयत नहीं वसदे मींह जो गजदे ने
शब्दार्थ
<references/>