भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"311 / हीर / वारिस शाह" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
17:52, 3 अप्रैल 2017 के समय का अवतरण
लागे हथ जे पकड़ पछाड़ सटों तेरे नाल करसां तां तूं जानसै वे
हिक हिक कसां भन्न लिंग तेरे तदों राब नूं खूब पछानसै वे
वेहड़े वड़े तां भन्नांगी टिंड तेरी तदों शुकर बजा लयानसै वे
गदे<ref>भिखारी</ref> वांग जा जूड़ के घड़ां तैनूं तदों छट तदबीर दी छानसै वे
सहती उठ के घरां नूं घूक चली मंगन आवसें तां मैंनूं जानसै वे
वारस शाह वांगू तेरी करां खिदमत मौज सजनां दी तदां मानसै वे
शब्दार्थ
<references/>