भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"358 / हीर / वारिस शाह" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

18:05, 3 अप्रैल 2017 के समय का अवतरण

लख वैदगी वैद लगा थक्के धुरों टुटड़ी किसे ना जोड़नी वे
जिथे कलम तकदीर दी वग चुकी किसे वैदगी नाल ना जोड़नी वे
जिस कम्म विच वौहटड़ी होवे चगी सोई खैर असां हुण लोड़नी वे
वारस शाह अजार<ref>हथियार</ref> होर सब मुड़दे एह तकदीर ना किसे ने मोड़नी वे

शब्दार्थ
<references/>