भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"475 / हीर / वारिस शाह" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
14:55, 5 अप्रैल 2017 के समय का अवतरण
घुंड लाह के हीर दीदार दिता रिहा होश ना अकल थी ताक कीता
लंक बाग दा परी ने झाक देके सीना चाक<ref>आजड़ी</ref> दा पाड़ के चाक<ref>लीरो-लीर</ref> कीता
बन्न मापयां जालमां टोर दिती तेरे इशक ने मार गमनाक कीता
मां बाप ते अंग भुला बैठी असां चाक नूं आपणा साक कीता
तेरे बाझ ना किसे नूं अगे लाया गवाह हालदा मैं रब्ब पाक कीता
देख नवी नरोई अयान तेरे सीना साढ़ के बिरहों ने खाक कीता
अला जाणदा ए एहनां आशकां ने मजे जोक ते चा तलाक<ref>विवाह तोड़ना</ref> कीता
वारस शह लैं चलनां तुसां सानूं किस वासते जीउ गमनाक कीता
शब्दार्थ
<references/>