भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"519 / हीर / वारिस शाह" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
15:32, 5 अप्रैल 2017 के समय का अवतरण
फौज हुसन दी खेत विच खिंड पई तुरत चा लगोटड़े वटयो ने
संमी खेडदियां मारदियां फिरन गिधा फबी घत बनावट पटयो ने
तोड़ किकरों सूल दा वडा कंडा पैर चोभ के खून पलटयो ने
सहती अंदरों मकर दा फंद जड़या दंद मारके खून उलटयो ने
शिसत-अंदाज<ref>निशाने-बाज़</ref> ते मकर दा नाग कीता उस हुसन दे मोर नूं फटयो ने
वारस यार दे खरच तहसील विचों हिसो सिरफ कसूर दा लुटयो ने
शब्दार्थ
<references/>