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"नाटक के किरदार / अनुभूति गुप्ता" के अवतरणों में अंतर

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मंच पर
नाटक का
हर
एक किरदार
वाक़ई
दोहरी ज़िन्दगी
जीता आया है

परदा उठाने से
परदा गिराने तक लेकर

सदा एक-सी
रहती है इन
किरदारों की मुस्कान
झूठ और छलावे से भरी...।