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"बाज़ार / रंजना जायसवाल" के अवतरणों में अंतर

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12:33, 5 मई 2017 के समय का अवतरण

सुबह -सबेरे
ओस भिगो देती है
शीतल हवा
ठंडक पहुंचती है
हरी घास
देती है तरावट
फूल महका देते हैं
तन -मन
जानते हैं वे
तपना होता है हमें
दिन भर
बाजार की
आग में।