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"चींटियाँ / रंजना जायसवाल" के अवतरणों में अंतर

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उन्हें
पसंद नहीं है
चींटियों का संगठन बनाना

उन्हें
कतई नापसंद है
कि चींटियाँ
करें राजनीति
और समाजी मुद्दों पर
अपनी राय दें

उनका मानना है
चींटियों का
जनम ही इसलिए होता है
कि वे रानी चींटी के अण्डे
और पूरे कुनबे के लिए
रसद ढोएँ

उन्हें
चींटियों के
प्र्तिवाद की भाषा तो
कतई कतई
नापसंद है

इसलिए जब कभी
उन्हें लगता है
चींटियाँ हो रही हैं
औकात से बाहर
वे उन्हें
कुचलने में लग जाते हैं।