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दूर कहीं पच्छिम में रहते हैं हैं हम
जहाँ दुनिया का न कोई दुख और न गम
उस जमीन का क्या है कहना
यही है हम सब निकेरी वासियों का गहना
लगाते हैं हम यहाँ धान
जो है हम सब निकेरी वासियों का गहना
लगाते हैं हम यहाँ धान
जो है हमारे सोने की खान
जहाँ रहते हैं हम सब एक समान
यही है हमारी नगर की जान
हिन्दू मुसलमान और ईसाई
रहते हैं जैसे भाई भाई।