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"इस्लामी-कुंडलियाँ: मुस्लिम / मुंशी रहमान खान" के अवतरणों में अंतर
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मुस्लिम वही सराहिए मानहिं खुदा रसूल।
दें जकात खैरात बहु पाँच में रहें मशगूल।।
पाँच में रहें मशगूल हज काबह कर आवैं।
चलैं कुरान हदीस मग भूले न राह बतावैं।।
कहैं रहमान सदा हित करहिं बेवा रंक यतीमम।
रोज हशर में जिन्नत पैंहैं वही हकीकी मुस्लिम।।