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"कैक्टस / भास्कर चौधुरी" के अवतरणों में अंतर

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11:53, 31 मई 2017 के समय का अवतरण

एक टुकड़ा भी
नहीं बादल का
तुम्हारे आसमान में

कड़ी धूप
दिन भर की
काली रातों की
कड़कड़ाती ठंड

शुष्क ज़मीन
सूखी रेत
गहरे-गहरे तक
पानी नहीं जिसके

वहीं बसते हो तुम
हरे-हरह्रष्ट-पुष्ट
सोखते हो
तुम कितना कम
जीवन रस
ज़रूरतें तुम्हारी कितनी कम...