भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"टुअर / कस्तूरी झा 'कोकिल'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कस्तूरी झा 'कोकिल' |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

15:46, 13 जून 2017 के समय का अवतरण

तोरा बिन उख बिख परान लागै छै।
तोरा बिना टुअर धरान लागै छै।
रात केॅ उठी-उठी पंखा डोलैतै केॅ?
बेरी-बेरी रात भर पानी पिलैतै केॅ?
देर ताँय सुतला पर झोली केॅ जगतै केॅ?
जीडी कॉलेज टहलैलेॅ रोजे पठैते केॅ?
असकल्लों दुनिया बीरान लागै छै।
तोरा बिन उखबिख परान लागै छै।
तोरा बिना टुअर धरान लागै छै।
जेना तेना नहाय छीयै।
कखनूँ काल खाय छीयै।
बड़की बीमारी में
डॉक्टर केॅ देखाय छीयै।
तोरा बिना हमरा मनझमाने लागै छै।
तोरा बिन उखबिख परान लागै छै।
तोरा बिना टुअर धरान लागै छै।
भोर साँझ अयथैं छै दिन रात जयथैं छै।
जेकरों जैन्हों भाग छै समय बितैथों छै।
तोरा बिना कहना दुख गरान लागै छै।
तोरा बिन उखबिख परान लागै छै।
तोरा बिना टुअर धरान लागै छै।

04/07/15 रात्रि सात बजे