भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"भरोसा / मुकेश नेमा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुकेश नेमा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
11:18, 21 जून 2017 के समय का अवतरण
पुल सहज भरोसे के!
होते नहीं योजनाबद्ध
इसीलिये तो
आकस्मिक निर्माण ये
बहते है बहुत बार
विश्वासघाती बाढ़ में
हो जाती है बडी
दूरियाँ पहले से भी
पर दिक़्क़त है बड़ी
कर नहीं सकते आप
इसे ठोक बजा कर
ऐसे तो ख़रीदे जाते है बर्तन
लेकिन मानते कहाँ है
भरोसा करने वाले
पागल हैं ये
उम्मीदों से भरे!
उबर जाते हैं जल्द
बहे पुल के कष्ट से
करते है फिर भरोसा
फिर से बनाते हैं और
हो भी जाते है पार!