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"ईश्वर का दास / शिवशंकर मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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आदमी ने
पत्थ रों को काटकर चेहरे गढ़े
पत्थ रों को समर्पित हुआ
लड़ाइयाँ लड़ीं और
समर्पण के बाद की प्रेरणाएँ लीं
और आदमी दुखी रहा हमेशा
ईश्वदर को अपने में लेकर भी
अपने को ईश्ववर को देकर भी
वह निष्कईरूण समाधान
आदमी पर फला नहीं आज तक।
आदमी यह और है जो
जंगली जितना है, उतना ही
ईश्वीर का दास है!