भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मैंने चाहा / रंजना जायसवाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना जायसवाल |अनुवादक= |संग्रह=ज...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

18:17, 28 जून 2017 के समय का अवतरण

मैंने चाहा
तुम्हारी प्रेरणा बनकर
बहूँ
तुम्हारी शिराओं में
तुम्हारे अहंकार ने
ऐसा नहीं होने दिया
मैंने फिर चाहा
तुम्हारी कोई कमजोरी ही बनकर
तुम्हारे पास रहूँ
तुम्हारे पराजय बोध ने ऐसा भी नहीं होने दिया।