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"छंद 39 / शृंगारलतिकासौरभ / द्विज" के अवतरणों में अंतर

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18:38, 29 जून 2017 के समय का अवतरण

दोहा

कबहुँक राधा के ललित, अंगन की दुति देखि।
करैं बचन-रचना बिबिधि, सुमुखि सुसखी बिसेखि॥

भावार्थ: कभी श्रीराधिका के रुचिर अंगों की शोभा देख, कोई सुंदरी सखी, दूसरी सखी से वाक् चातुरी द्वारा उसका वर्णन करती है।