भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हरियाली के प्रचारक / रंजना जायसवाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना जायसवाल |अनुवादक= |संग्रह=ज...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

10:04, 4 जुलाई 2017 के समय का अवतरण

हरियाली का नाम लेते ही
हरी हो जाती हैं उनकी
तिजोरियां
स्त्रियाँ
और पीढियाँ
उन्हें पसंद नहीं
सूखी जेबें
लोग
और प्रदेश
वे हरे प्रदेश में जाते हैं
हरियाली खाते-पीते
ओढते-बिछाते हैं
और सुखाड़ पड़ते ही वहाँ
 निकल पड़ते हैं
कहीं और
हरियाली की तलाश में