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"मन की भाषा / रंजना जायसवाल" के अवतरणों में अंतर

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12:10, 4 जुलाई 2017 के समय का अवतरण

तुम मुझे सच लगे थे
अपनी तरह
तुम्हारे रोम-रोम को
पढ़ लेने वाली मैं
नहीं पढ़ पाई
तुम्हारे मन की भाषा