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"फिर कैसे / रंजना जायसवाल" के अवतरणों में अंतर

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12:18, 4 जुलाई 2017 के समय का अवतरण

हर पल
भरा-भरा रहा
तुमसे मेरा मन
इतना कि बची न रही
जगह तनिक भी किसी
‘और’
के लिए
फिर कैसे
बची रह गयी
तुममें
इतनी जगह
कि समा जाए
कोई और