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शहरो में पिकनिक हुऐ छै, गामो में होय छै पुसभत्ता
एक दिन के लेली पिकनिक छै, एक महीना तक पुसभत्ता
पूस में लौटी घर आबैछै जे कमबै दिल्ली कलकत्ता
सौसे जाड़ा के छुट्टी ले, ले घर भर के कपड़ा-लत्ता
नौकरिया होय के गुमान में रोब जमाबै छै अलबत्ता
गामो से कुछ दूर खेत में खूब मनाबै छै पुसभत्ता
पूस रात में चन्दा चमकै, छिपल कुहासा में छनमत्ता
थरिया, लोटा, दोल, कराही, लटकैने लड़का के जत्था
कहीं खेत में तम्बू लटकल नीप-पोति के बित्ता-बित्ता
मंदिर सन भीतर घूसै छै खोलि के बाहर चप्पल-जुत्ता
बाहर में घूड़ा लहरै, लहरै बान्हल लाठी पर लत्ता
भीतर में पुआल के गद्दी; सोफा मकतै गरम सुभित्ता
आलू, कोबी, सीम, टमाटर, गामे के केला पोपित्ता
कूटै पीसै जीरा, धनियाँ गरम मशाला और तजपत्ता
कोय खाना कोय बात बनाबै, कोय फरियाबै नाता-गोत्ता
केक्कर के छै भाय भतीजा केक्कर के साथी के मित्ता
सब के अप्पन डफली जेन्ना मिलल जुलल सरकार के सत्ता
एक दोसर के दोष गिनाबै, केकरो बात नै केकरो तित्ता
खाना जब तैयार भेल सब ले लोटा सखुआ के पत्ता
एक पंगत में बैठल, बाहर पहरा पर देहाती कुत्ता
खाय घड़ी कोय सरकल कहलक नानी शायद करै छौ चित्ता
उत्तर में सुनै ले भेटल नानी हम्मर नै छै जित्ता
ऐसी ना हर साल मनै छै, एक महीना तक पुसभत्ता
एक दिन के पिकनिक से बढ़िया, एक महीना के पुसभत्ता