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"मानोगे इक बात कहो तो बोलूँ मैं / दीपक शर्मा 'दीप'" के अवतरणों में अंतर

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दुनियाभर की बात जुटाई जाती है
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मानोगे इक बात कहो तो बोलूँ मैं
फिर अच्छे से आग लगाई जाती है
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होने को है रा त कहो तो बोलूँ मैं?
  
बाद में उस को ताना मारा जाता है
+
पांच बजे ही मेरी बारी थी,थी ना?
पहले लड़की ख़ूब सजाई जाती है
+
हुए हैं पौने सात कहो तो बोलूँ मैं
  
हम अच्छे हैं और बुरे हैं बाक़ी सब
+
बूँद-बूँद में ख़ून उतर आया देखो!
  यह इल्ली तो सब में पाई जाती है
+
कैसी है बरसात कहो तो बोलूँ मैं?
  
पहले सिर पर यार चढ़ाया जाता है
+
गोया ऐसा खेल नहीं है दुनिया में
फिर गुस्से से आँख दिखाई जाती है
+
शह में बैठी मात कहो तो बोलूँ मैं
  
जहाँ सिखाया जाता है कि अच्छा बन
+
इंसां हो तो इंसां रहना सीखो,और
  वहीं बगल में नाक कटाई जाती है 
+
गन्दी-गन्दी बात कहो तो बोलूँ मैं?
  
आस-पड़ोसी हर साज़िश में हैं शामिल
+
काले करतब काले धंधे वाले लोग
और, यहीं पर रोज़ मिठाई जाती है
+
पूछ रहे हैं जात कहो तो बोलूँ मैं
  
तुलसी तक मुरझा जाती है 'दीप' यहाँ
+
केवल आँतें टूट रही हैं बाकी 'दीप'
जब जब माँ के घर भौजाई जाती है
+
अच्छे हैं हालात कहो तो बोलूँ मैं?
 
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14:36, 12 जुलाई 2017 का अवतरण

मानोगे इक बात कहो तो बोलूँ मैं
होने को है रा त कहो तो बोलूँ मैं?

पांच बजे ही मेरी बारी थी,थी ना?
हुए हैं पौने सात कहो तो बोलूँ मैं

बूँद-बूँद में ख़ून उतर आया देखो!
कैसी है बरसात कहो तो बोलूँ मैं?

गोया ऐसा खेल नहीं है दुनिया में
शह में बैठी मात कहो तो बोलूँ मैं

इंसां हो तो इंसां रहना सीखो,और
गन्दी-गन्दी बात कहो तो बोलूँ मैं?

काले करतब काले धंधे वाले लोग
पूछ रहे हैं जात कहो तो बोलूँ मैं

केवल आँतें टूट रही हैं बाकी 'दीप'
अच्छे हैं हालात कहो तो बोलूँ मैं?