भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"यूँ ही / राजेश शर्मा ‘बेक़दरा’" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेश शर्मा 'बेक़दरा' |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

13:58, 28 जुलाई 2017 के समय का अवतरण

क्या सोचते हो?
यूँही ख़त्म हो जायेगा?
सूर्य का ओज
चन्द्रमा की चांदनी
धरती की प्यास
समुन्दर का जल
और मेरा प्रेम