भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"लोग किनारे पार / अमित कुमार मल्ल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अमित कुमार मल्ल |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

12:25, 12 दिसम्बर 2017 के समय का अवतरण

लोग पार कर रहे थे
मैं किनारे पर रुक गया
कि

बच्चे खेलते पार कर ले
जवान दौड़ते पार कर ले
बे सहारा सहारा लेकर पार कर ले

मैं वक्त बनकर बूढ़ा हो गया
किनारे पर ही खड़ा रहा