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"हँसी की तैयारी / रामदरश मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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वह सोचता रहता है-
यह भी मिल जाय
वह भी मिल जाय
वह भी मिल जाय
तब वह निश्चिंत होकर हँसेगा चैन की हँसी
लेकिन वह कभी हँस नहीं सका
जीवन भर हँसने की तैयारी करता रह गया।
-22.9.2014