भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हँसी की तैयारी / रामदरश मिश्र" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामदरश मिश्र |अनुवादक= |संग्रह=मै...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

15:37, 12 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

वह सोचता रहता है-
यह भी मिल जाय
वह भी मिल जाय
वह भी मिल जाय
तब वह निश्चिंत होकर हँसेगा चैन की हँसी
लेकिन वह कभी हँस नहीं सका
जीवन भर हँसने की तैयारी करता रह गया।
-22.9.2014