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"अनुनय / रामावतार यादव 'शक्र'" के अवतरणों में अंतर

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10:47, 14 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

मुझ से रूठ छिपे हो जाकर दूर क्यों?
बने बदल कर जाने इतने क्रूर क्यों!
कहाँ तुम्हें मैं पाऊँ, पता न पा रहा!
जीवन उलझन में पड़कर घबरा रहा!

कुछ न सुहाता, लगा तुम्हीं में ध्यान है।
तुम से मिलने को आकुल यह प्राण है।
-1928 ई.