भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सोचो तो / सुनीता जैन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुनीता जैन |अनुवादक= |संग्रह=यह कव...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

18:17, 16 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

इस खेत खड़े
प्यासे का
इतने जल से
क्या होगा,
अम्बर तुम सोचो तो

बिना तृषा के
स्वागत,
मेघों का भी
क्या होगा,
मौसम तुम सोचो तो

और सावन में
सावन,
डूबा न तो
क्या होगा,
तृष्णा तुम सोचो तो

इतने बाद
सफर के,
मिली छाँव न
क्या होगा,
सड़क ज़रा सोचो तो