भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"टूटा शीश चमका / सुनीता जैन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुनीता जैन |अनुवादक= |संग्रह=यह कव...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

19:33, 16 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

सुबह हुई,
दिन
शुरू हुआ-
डर लगा

तुम आए
चारों ओर
निमंत्रण था-
डर लगा

सहसा धूप खिली,
टूटा शीशा
चमका-
डर लगा।