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"वह / सुनीता जैन" के अवतरणों में अंतर
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19:40, 16 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण
वह
जिससे डर
जीवन-भर भागती रही
और वह,
जिसके लिए
यहाँ-वहाँ
पल्ला पसारती रही
एक सब जगह मिला
दूसरा,
कहीं नहीं