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"व्याप्ती रही व्यथा / सुनीता जैन" के अवतरणों में अंतर

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11:24, 17 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

सब ने सींचा
अपना-अपना सुख

तुम ने
मैंने
उसने
यों व्यापती रही
व्यथा,
उस से
तुम में, मुझ से
सब कुछ में