भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"तोर कौन ठेकाना / मथुरा प्रसाद 'नवीन'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मथुरा प्रसाद 'नवीन' |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

14:32, 24 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

तोरे कौन ठेकाना हो
कल रहबा नै रहबा
तोहर आल औलाद
अगर पुछतो
तब की कहबा
इहे ने कि
सोचऽ हा
कल जाना हे,
दू दिन के मेला हे,
अगर आजदी भुलैबा
तब छोड़ के की जैबा?
घर के गेनरा घरे में रह जैतो,
तोहर बाल-बच्चा ई सह जैतो
काहे कि
ओकरा की पता रहतो,
घर जब उजड़ जैतो
नै जानी कता रहतो
उहे दिन ले
तोहर जवानी
जगाना जरूरी हो गेलो हे
तोहन मन में
सुलगल चिनगारी हो
तब आग लगाना
जरूरी हो गेलो हे।