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कहनवा मानो हो मियाँ टट्टू।
गेंदा खेलो फिरहिरी नचावहु हाथ से छुओ न लट्टू॥
याद आती है हमेंआज शक्ल बावन की।
रूत जो बदली घिरी आती है घटा सावन की॥
कहाता था जमाने में जो, एक दिन हूर का बच्चा।
वही क्या बन गया अब देखिए लंगूर का बच्चा॥
अजब कुदरत खुदा की शान की।
जान की दुश्मन हुई है जानकी॥