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मुकुन्दी की छोकड़ी लूटै बजार।
लूटि बनारस चिक्न कै-कै अब मिरजापुर के हैं विचार।
मुरली धर सतनारायण सिंघ दुबरी दररि मिलायो छार।
बाल मुकुन्द पदारथ दूबे बेनी गनेस को दीनो उजार।
अब महन्त पर हाथ लग्योल होत नहि गिनती कबनहु यार।