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"कजली / 10 / प्रेमघन" के अवतरणों में अंतर

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10:00, 21 मई 2018 के समय का अवतरण

॥जन्माष्टमी की बधाई॥

धनि धनि भाग जसोदा तेरो! जायो जिन अबिनासी बाल॥
सकल सुरन पूजित पद पल्लव, असुर कंस को काल।
सुक, सनकादिक, नारद, मुनि मन मानस मंजु मराल॥
तजि गोलोक, आय गोकुल, जगदीस भयो गोपाल।
सुकबि प्रेमघन बृज मैं छायो मंगल मोद बिसाल॥20॥