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"कजली / 13 / प्रेमघन" के अवतरणों में अंतर

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"धीरे धीरेही झुलावो मोरी प्यारी ललना" की चाल

ऋतु आई बरखा की नियराई कजरी॥
सब सखियाँ सहेलिन मचाई कजरी।
लगीं चारों ओर सरस सुनाई कजरी॥
नभ नवल घटा की छबि छाई कजरी।
पिया प्रेमघन! आबो मिलि गाई कजरी॥29॥