भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"चिल्ला जाड़ा / उषा यादव" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उषा यादव |अनुवादक= |संग्रह=51 इक्का...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
16:21, 22 मई 2018 के समय का अवतरण
ढम-ढम-ढम-ढम बजा नगाड़ा।
देखो आया चिल्ला जाड़ा।
थर-थर-थर-थर बाबा काँपें।
दादी बस अँगीठी तापें।
शीत लहर ने तंबू गाड़ा।
देखो आया चिल्ला जाड़ा।
कट-कट-कट-कट दाँत बज रहे।
स्वेटर-मफ़लर सभी सज रहे।
चालीस दिन इसका रजवाड़ा।
देखो आया चिल्ला जाड़ा।