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पिया के तो लिहलीं लोभाय, गोरी गोरिया॥
अँगरेजी पढ़ि गयनि बिलाइत, लौटत अवलैं लियाय गो। गो।
काले साहेब भये निराले, अनमिल मेल मिलाय गो। गो।
जूठ निवाले खाँय, पियाले मद के पियहिं, पियाय गो। गो।
लोक लाज कुलकानि धरम धन, जग मुख दिहिसि नसाय गो।
बनि लंगूर बँदरिया के सँग, नाचहिं नाच रिझाय गो। गो।
करजौ काढ़ि नहीं धन आँटै, सरबस देइ उड़ाय गो। गो।
बिके दास बनिकै परबस, मन झीखत हुकुम बजाय गो। गो।
औरन सँग निज मेम प्रेम लखि, रोवहिं कहि-कहि हाय! गो। गो।
बनी जाल जंजाल प्रेमघन, छुअै न फन्द फँसाय गो। गो।॥136॥