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प्रधान प्रकार की सामान्य लय
बम्बू बाय-बाय मुँह चूसः, चन्डू पीयः हो चन्डूल॥
पीकर पिनक लेत हौ, मानो रहे झूलना झूल
रंगत बनी अजब चेहरे की ज्यों गेंदे का फूल॥
रोग अनेक दबाएँ बाढ़ी साँस, साक और सूल
बकरी-सी सूरत बन, आँखैं भई लाल ज्यों तूल॥
जौ नहिं पावत, तौ मुँह बावत उठत करेजवाँ हूल
पैसे की तंगी से जीना झूमन हुआ फजूल॥
मैली बदन सुरत जिन्नाती फिरत छानते धूल
बन्डू बाज धनी दानी कहँ मिलैयार अनकूल॥137॥