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"रपट कहाँ लिखवाएँ / संजीव ठाकुर" के अवतरणों में अंतर

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09:48, 23 मई 2018 के समय का अवतरण

जाड़े के मौसम ने देखो
अपनी टांग अड़ा दी
दादी की हड्डी में जैसे
ठंडी बर्फ गड़ा दी

खाँस-खाँस कर दादाजी का
बहुत बुरा है हाल
दादाजी को दुख देने की
यह जाड़े की चाल !

किससे करें शिकायत, बोलो
कौन कचहरी जाएँ?
सूरज तो खुद ही कैदी है
रपट कहाँ लिखवाएँ?