भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"काठ हो जाना है / अशोक कुमार" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अशोक कुमार |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
10:48, 15 अगस्त 2018 के समय का अवतरण
शेरों को काठ हो जाना है
पेड़ों को काठ हो जाना है
समय की अनुर्वर भूमि पर
खाद पानी के अभाव में
विस्मृत होते हुए
आदमी को काठ हो जाना है।