भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"वो / नीरजा हेमेन्द्र" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नीरजा हेमेन्द्र |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

17:15, 1 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण

गेहूँ की सुनहरी बालियों को
लगातार पीट-पीट कर
दाने अलग कर देता वो
ठीक उसी तरह जैसे
दाना-दाना बिखेर दी गयीं
उसकी इच्छायें
उसके सपने
सपने! मेहनतकश कृशक के
भूख और अभावों के
अन्तहीन खलिहानों में
वह हाँफ-हाँफ कर
संघर्ष कर रहा है
दानों को बटोरने की
और ऐसा करते हुए वह
मर रहा है प्रतिदिन
एक छोटी-सी मौत
बुझते दीये की लौ-सी
उसकी आँखें
अपने सपने छुपा कर
रखना चाहता है वह उनमें
वह तेजी से दानों को
बटोरने में लग जाता है
वह मरता है
कई-कई बार
काँप रहे हैं
उसके हाथ।