भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आह्वान / परमेश्वरी सिंह 'अनपढ़'" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=परमेश्वरी सिंह 'अनपढ़' |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
11:02, 3 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण
इधर नेहरू, उधर चाऊ एन लाई
हिन्दी-चीनी भाई-भाई
नारा लगाया जा रहा था
पीठ में छुरा चुभाया जा रहा था
खून के आँसू हिमालय रो रहा था
काइसलाश की चोटी भरी हुँकार
गंग की धारा गरज कर बह रही थी
हो गया घायल हिमालय कह रही थी
सेना बहादुरी से हंटी पीछे...
जवानी का था खून खौला
अनायास ‘अनपढ़’ के हृदय से
निकाल कर कविता...
करने लगी आहवान