भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सावां गीत / 4 / भील" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKLokRachna |भाषा=भील |रचनाकार= |संग्रह= }} <poem> सब याही आया वोत...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

13:05, 5 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण

भील लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

सब याही आया वोते एक याही नी आया!
लाव कटोरी काटो नाक, लाव विचारा नो ढाकूं नाक!
डांडे-डांडे उतरवो बाई छछूंदरी,
काल-गान चोटी कातरवो बाई छछूंदरी!!

-सावां लाने वालों के लिए गीत में कहा गया है कि- सभी समधी भाई हैं, कटोरी
 लाओ! इनकी नाक काटूँ और कटी हुई नाक ढाँक दूँ। छछूंदर से कहती है कि-
तू छत की लकड़ियों के सहारे नीेचे उतर। सावां लाने वालों में से किसी की चोटी
कतर डाल।