भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"चाक गीत / 2 / राजस्थानी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKLokRachna |भाषा=राजस्थानी |रचनाकार= |संग्रह= }} {{KKCatRajasthaniRachna}} <poe...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

18:12, 7 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण

उठो बहू... जी की राण्यां करो थे सिणगार हे।
बरज्या राजन न रेवे बीरो बाई नणदल को।।
उठो बहू... जी की राण्यां करो थे सिणगार हे।
बरज्या राजन न रेवे बीरो बाई नणदल को।।
उठो बहू... जी की राण्यां करो थे सिणगार हे।
बरज्या राजन न रेवे बीरा बई ज्ञानवती को।।
उठो बहू... जी की राण्यां करो थे सिणगार हे।
बरज्या राजन ने रेवे बीरो बाई शान्ति को।।
उठो बहू... जी की राण्यां करो थे सिणगार हे।
बरज्या राजन न रेवे बीरो बाई नणदल को।।