भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"गोरी गावे कजरी / जगदीश पीयूष" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जगदीश पीयूष |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
10:50, 28 फ़रवरी 2019 के समय का अवतरण
गोरी गावे कजरी।
घिरि आई बदरी॥
गावे ग्वाल बाल कनवा उटेर बिरहा।
चुवे बुढ़ऊ क घर गिरि जाय मड़हा॥
घूम घूम बदरा।
झूम झूम बदरा॥
गिरै पनिया पनारा होइ जाय गड़हा।
चुवे बुढ़ऊ क घर गिरि जाय मड़हा॥
धार धार बदरा।
जइसे गिरै मुसरा॥
भरे खेतवा कियारी उतिराय बरहा।
चुवे बुढ़ऊ क घर गिरि जाय मड़हा॥