भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"महिमा एक समान / सतीश मिश्रा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सतीश मिश्रा |अनुवादक= |संग्रह=दुभ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

12:00, 7 मार्च 2019 के समय का अवतरण

बंश बिरिछ के दू गो कोपल धीया-पूता नाम
दुन्नों के समतूल वजन हे-महिमा एक समान।

धीया बून रिमझिम त पूत कार बदरी
धीया संगे मिल के बसावे पूत नगरी

पूत निअन धीआ के नेह दऽ, दुलार दऽ!
भोजन दऽ, कपड़ा दऽ, ज्ञान-संस्कार दऽ!

धीया के ताकत से पूत करे मेहनत
धीया से पूता के बगबग हे पगड़ी।
धीनया बून रिमझिम त पूत कार बदरी

धीया बहीन बने, बहू माय, सास बने
कुल के मरजाद, बंश-आस-बिश्वास बने

ममता के मूरत, करुना के सागर
पोर-पोर छलके पिरितिया के गगरी
धीनया बून रिमझिम त पूत कार बदरी

बिजुरी के चमके से थर-थर जे काँपे
अगिया के धाह ओही देहिया से नापे

बनला पर दुर्गा, भवानी रनचंडी
कांटा-कूर बिन-बिन के रचे-रिचे डगरी
धीनया बून रिमझिम त पूत कार बदरी।