भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"दर्द का रिश्ता / सुनीता शानू" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुनीता शानू |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
20:36, 9 जुलाई 2019 के समय का अवतरण
तेरा-मेरा रिश्ता
एक अबूझ पहेली सा--
’दर्द का रिश्ता’
हर खुशी में शामिल
होते है
दोस्त सभी
बस
एक तू ही
नहीं होता
एक कोने में बैठा
निर्विकार
सौम्य
अपलक निहारता मुझे
और बाट जोहता कि
मैं
पुकारूँ नाम तेरा...
लेकिन
मैं भूल जाती हूँ
उस एक पल की खुशी में
तेरे सभी उपकार
जो तूने मुझ पर किये थे
और तू भी चुप बैठा
सब देखता है
आखिर कब तक रखेगा
अपने प्रिय से दूरी?