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"खामोशी / सुनीता शानू" के अवतरणों में अंतर

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21:08, 9 जुलाई 2019 के समय का अवतरण

आँखों ने आँखों से
कह दिया सब कुछ
मगर-
जुबाँ खामोश रही-

जब दिल ने
दिल की सुनी आवाज़-
धड़कन
खामोश रही-।

तुम्हारे प्यार की
खुशबू से तृप्त
उठती गिरती साँसे देख
पलकें खामोश रही।