भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"खामोशी / सुनीता शानू" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुनीता शानू |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
21:08, 9 जुलाई 2019 के समय का अवतरण
आँखों ने आँखों से
कह दिया सब कुछ
मगर-
जुबाँ खामोश रही-
जब दिल ने
दिल की सुनी आवाज़-
धड़कन
खामोश रही-।
तुम्हारे प्यार की
खुशबू से तृप्त
उठती गिरती साँसे देख
पलकें खामोश रही।