भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"अ-व्याकरण / नवीन रांगियाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नवीन रांगियाल |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

14:25, 7 अगस्त 2019 के समय का अवतरण

पहले कुछ नहीं था
न बोलना
और न ही चुप रहना

फिर धीरे धीरे
दुनिया में व्याकरण आया
और फिर पूरी दुनिया की भाषा
ख़राब हो गई

हम फिर लौटेंगे
उसी आरंभ की तरफ
जिसे दुनिया अंत कहेगी

तब न कुछ कहा जाएगा
और न ही सुना जाएगा कुछ

वही अ-व्याकरण वाली शुरुआत
जिसे लोग अंत कहेंगे
एक सुंदर कविता होगी