भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पानी और पैसा / कुमार विक्रम" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुमार विक्रम |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
19:01, 11 अगस्त 2020 के समय का अवतरण
पानी की तरह पैसा बहाना
कोई उन्हें समझाए
कि सिर्फ एक मुहावरा ही है
उन दिनों ईजाद किया हुआ
जब पानी सब तरफ लबालब था
और पैसा अभी देवता नहीं बना था
कोई उन्हें समझाए
पैसे से पानी पर काबू पाना
मानो ऊँगली को आँखों पर रख
सूरज को ढक लेने का
भ्रम पालने जैसा है
कोई उन्हें यह भी समझाए
कि तीसरा विश्वयुद्ध पानी के कारण होगा
कोई मुहावरा नहीं है
बस कुछ मसखरों द्वारा
प्रलय से पहले
उसकी खिल्ली उड़ाने का जत्न करने जैसा है
‘बहुवचन’ 2017